कहानी संग्रह >> आदि-अनादि ( 3 भाग) आदि-अनादि ( 3 भाग)चित्रा मुदगल
|
0 |
आदि-अनादि
(चित्रा मुद्गल की संपूर्ण कहानियां-तीन खंडों में)
कहानी-लेखन चित्रा मुद्गल के अनवरत जीवन-संघर्ष का एक जरूरी हिस्सा है। 1965 में प्रारंभ हुई उनकी कथायात्रा क्रमशः इस अंदाज में परवान चढ़ी कि आज हिंदी कहानी का इतिहास बगैर उनके जिक्र के पूरा हो पाना संभव नहीं है।
‘आदि-अनादि’ में चित्राजी की 1965 से 2007 तक की उपलब्ध सभी कहानियां संग्रहीत हैं। ‘सफेद सेनारा’ से उनकी नव्यतम कहानी ‘हथियार’ तक की कहानियां बयालीस वर्षों के सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संघर्ष का जीवंत प्रमाण हैं।
तीन खंडों में प्रस्तुत इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में कथाकार चित्रा मुद्गल के क्रमिक विकास की झलक तो मिलेगी ही, उनकी विशिष्ट अभिव्यंजना की विशिष्ट भाषिक सामर्थ्य, अनूठी कथा शैली तथा बेजोड़ शिल्प के दर्शन भी होंगे।
अपने समय की प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और प्रशंसित ये कहानियां मुंबई से दिल्ली तक के लेखिका के वृहद रचनाकर्म और भारत के संघर्षशील जन से उनके लगाव का प्रमाण तो हैं ही, साथ ही उन शोधार्थियों के लिए भी एक बड़ी सहूलियत के रूप में प्रस्तुत हैं जो अब तक अलग-अलग पुस्तकालयों और संग्रहों की शरण में जाने पर मजबूर थे।
कहना जरूरी है कि ‘आदि-अनादि’ उन पाठकों और पुस्तकालयों के लिए एक अनिवार्य प्रस्तुति है जो स्वातंत्रयोत्तर भारत, उसके विकास तथा जनमानस को कहानी के माध्यम से समझना चाहतें हैं।
|