लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> और...और...औरत

और...और...औरत

कृष्णा अग्निहोत्री

प्रकाशक : सामयिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10917
आईएसबीएन :9789380458021

Like this Hindi book 0

“मैं तो बस एक दर्शक औरत थी जो समय को छलांग लगाते देखती रह गई। एक हाथ में अतीत, दूसरे में भविष्य और बीच में वर्तमान जीवनरूपी नदी का प्रवाह बहते हुए दूर-दूर से रोशनियों के आश्वासनों पर यहां तक बढ़ते आए। भले ही वह हमें मिले या न मिले।”

वरिष्ठ कथाकार कृष्णा अग्निहोत्री की औरत के कई रूप हैं। उनका लेखक रूप एकदम निर्भीक है। वह अत्याचार के छोटे से छोटे तंज को तोड़ने में अग्रणी उत्पीड़ित स्त्री को देख जलने लगती हैं। लेकिन जीवन में आनंद आता है, तो उसे भोग नहीं पातीं ।

उनमें यह कहने का साहस है कि यदि औरतें कारणवश शील तोड़ती है तो उन्हें बुरा नहीं लगता। कोई पुरुष सौदा करके उन्हें नहीं पा सका। हां, उच्छुंखलता या व्यभिचार को वह गलत मानती हैं। प्यार उनके लिए एक अलग ही अनुभूति है।

आत्मकथा का यह दूसरा खंड है ‘और…और…औरत’, इसे पढ़ते हुए आप पाएंगे कि लेखिका ने अपने विश्वास, अविश्वास, साहस और भय, मूल्यों, नैतिकता और जीवन-रहस्यों को खोलने में जरा भी संकोच नहीं किया है।

कहन किस्से की है, इसलिए यहां एक स्वाभाविक… खिंचाव बनता है पाठकों के लिए।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai