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पुराण एवं उपनिषद् >> कठोपनिषद-शांकरभाष्य

कठोपनिषद-शांकरभाष्य

बैजनाथ पाण्डेय

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :137
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 11065
आईएसबीएन :8120826914

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कठोपनिषद् परमात्म साधकों के लिए महत्वपूर्ण उपनिषद है।

आदि शंकराचार्य ने जन-जागरण में वेदान्त निहित ज्ञान की ज्योति पुनः प्रज्जलित की। इस प्रक्रिया में उन्होंने अद्वैत ज्ञान पर कई पुस्तकें लिखीं। इसी श्रंखला में जिन 10 उपनिषदों पर भाष्य लिखे उनमें से कठोपनिषद का विशेष स्थान है। इस उपनिषद् में बालक नचिकेता धर्मराज यम से जीवन के सत्य के संबंध में प्रश्न पूछता है। यम यह सुनिश्चित करने के बाद कि नचिकेता वास्तव में वेदान्त के परम ज्ञान का अधिकारी है, उसके प्रश्नों का विस्तार में उत्तर देते हैं। कहते हैं कि कठोपनिषद स्वयं अपने आप में इतना ज्ञान साधकों को देता कि वे परमार्थ तक पहुँच सकें।

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