लोगों की राय

विभिन्न रामायण एवं गीता >> तुलसी रामायण-जगमंगल पारायण

तुलसी रामायण-जगमंगल पारायण

सत्य प्रकाश अग्रवाल

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11068
आईएसबीएन :8120814657

Like this Hindi book 0

सर्व साधारण के लिए रामचरितमानस का पारायण मनोहारी और अत्यंत उपयोगी है। यह सरल भाषा संस्करण है।

पंद्रहवीं शताब्दी के भक्ति और रस युग में जन्मे तुलसीदास जी ने ईश्वर कृपा से लंबी आयु पायी। अपने जीवन काल में गोस्वामीजी ने मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए कई रचनाएँ की। परंतु रामकथा पर आधारित रामचरितमानस उनकी सर्वशिरोमणि ग्रेथ है। इस रामकथा को उन्होंने तत्कालीन समाज की जनसाधारण लोगों की भाषा अवधी में लिखा और जन-जन तक हमारे हृदय में बसने वाले राम से आत्मीय परिचय करवाया। परंतु आज के समय में अवधी कुछ क्षेत्रों में ही बोली जाती है, जबकि हिन्दी मुख्य भाषा बन गई है। लेखक ने इसे सरल हिन्दी में लिखकर हम सभी को कृतार्थ किया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai