भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचितसुबोधचन्द्र पंत
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।।अभिज्ञान शाकुन्तलम्।।
प्रथम अंक
मंगलाचरण
या सृष्टि: स्त्रष्टुराद्या वहति विधिहुतं या हविर्या च होत्री
येद्धेकालंविधत्त: श्रुतिविषयगुणा: प्राणवन्त: या स्थिता व्याप्य विश्वम्।
यामाहु: सर्वबीजप्रकृतिरिति यया प्राणिन: प्राणवन्त:
प्रत्यक्षाभि: प्रपन्नस्तनुभिरवतु वरताभिरष्टाभिरीश:।।
[जिस सृष्टि को ब्रह्मा ने सबसे पहले बनाया, वह अग्नि जो विधि के साथ दी
हुई हवन सामग्री ग्रहण करती है? वह होता जिसे यज्ञ करने का काम मिला है वह
चन्द्र और सूर्य जो दिन और रात का समय निर्धारित करते हैं, वह आकाश जिसका
गुण शब्द है और जो संसार भर में रमा हुआ है, वह पृथ्वी जो सब बीजों
को उत्पन्न करने वाली बताई जाती है, और वह वायु जिसके कारण सब जीव
जी रहे हैं अर्थात् उस सृष्टि अग्नि, होता, सूर्य चन्द्र, आकाश,
पृथ्वी और वायु इन आठ प्रत्यक्ष रूपों में जो भगवान शिव सबको दिखाई देते
हैं, वे शिव आप लोगों का कल्याण करें।
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