वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी एवं मध्यपाराशरी लघुपाराशरी एवं मध्यपाराशरीकेदारदत्त जोशी
|
0 |
4.8 मृत्यु की दशा राहु-चन्द्रमा
राहु सप्तम या मारक भाव में नीचस्थ लग्नेश के साथ बैठने से मारकेश के सभी गुण समेटे हुए है। राहु निम्न्त्रक गुरु सप्तमेश होने से प्रबल मारक है। विज्ञजन जानते हैं कि राहु जिस राशि में हो उस राशीश का फल देता है। राहु का मारकेश गुरु की राशि में बैठना इसे मारक बनाता है। पुनः चन्द्रमा एकादश भाव का स्वामी होकर नीचस्थ हो गया है तथा अष्टमेश नियन्त्रक या षष्ठेश शनि से दृष्ट भी है। शनि और मंगल का परस्पर दृष्टि सम्बन्ध शनि की दृष्टि में मारकता का विष देकर चन्द्रमा की भुक्तिं को मृत्यु देने वाला बना रहा है।
इस तालिका में देखा गया कि यह वर्गीकरण भले ही बहुत आकर्षक जान पड़े किन्तु व्यवहार में सही नहीं उतरते। इन सूत्रों की विश्वसनीयता लगभग 70-75 प्रतिशत के बीच आँकी गई है।
|