वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी एवं मध्यपाराशरी लघुपाराशरी एवं मध्यपाराशरीकेदारदत्त जोशी
|
0 |
1.3 नक्षत्र दशा ही मुख्य है।
फलानि नक्षत्रदशा प्रकारेण विवृण्महे
दशा विंशोत्तरी चांत्र ग्राह्या न अष्टोत्तरीमता।।3।।
शुभ-अशुभ फल कथन में विंशोत्तरी नक्षत्र दशा ही सर्वश्रेष्ठ है। इसका, उपयोग सभी परिस्थितियों में सटीक परिणाम देता है। अष्टोत्तरी व अन्य दशाएँ हमें इस सन्दर्भ में मान्य नहीं है।
टिप्पणी-लघु पाराशरी में बृहत्पाराशर का सार संग्रहित हुआ है। इसका उद्देश्य ज्योतिष प्रेमियों का मार्गदर्शन कर उनके फल कथन को सटीक बनाना है। अतः यह सर्वाधिक लोकप्रिय व अनुभव में खरी उतरने वाली विंशोत्तरी दशा को ग्रहण किया गया है। अन्य दशाओं को छोड़ दिया गया है। पुस्तक का आकार छोटा बनाए रखने के लिए शायद यह आवश्यक भी था।
|