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गीता प्रेस, गोरखपुर >> श्रीमहामन्त्रराजस्तोत्रम्

श्रीमहामन्त्रराजस्तोत्रम्

रामनारायण दत्त

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :47
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1158
आईएसबीएन :81-293-0652-2

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श्रीमहामन्त्रराजस्तोत्रम् ...

Shri Mahamantrarajstotram A Hindi Book by Hanuman Prasad Poddar - श्रीमहामन्त्रराजस्तोत्रम् - रामनारायण दत्त

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नम्र निवेदन

सुमधुर ‘वसन्ततिलका’—छन्द में रचित यह ‘श्रीमहामन्त्रराजस्त्रोतम्’ पाठ करने मात्र से आनन्द प्रदान करने वाला है। इसमें आये प्रत्येक श्लोक के पूर्वार्ध भगवच्चरित्र का संक्षिप्त वर्णन आया है और उत्तरार्ध में उस चरित्र को लक्ष्य करने वाला एक नाम और आठ बार ‘राम’—नाम आया है। अगर कोई चाहे तो केवल उत्तरार्ध-भाग का ही पाठ करके 1044 भगवन्नाम-जपका भगवतलाभ प्राप्त कर सकता है;

 जैसे—श्रीराम ‘कविसंस्तुत’ राम राम श्री राम राम शरणं भव राम राम।।1।। श्री राम राम ‘कृतरक्षण’ राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।।2।। आदि। कोई कृष्णभक्त हो तो वह ‘श्रीकृष्ण कृष्ण ‘कविसंस्तुत’ कृष्ण कृष्ण श्रीकृष्ण कृष्ण शरणं भव कृष्ण कृष्ण’—इस तरह भी पाठ कर सकता है।

मनुष्य एक दिन में 21,600 श्वास लेता है। अतः कम से कम इतना नामजप तो उसे करना ही चाहिये। इस स्त्रोत्र के इक्कीस पाठ करने से 21,924 नामों का जप हो जाता है। इस दृष्टि से यह स्तोत्र सबके लिए बहुत उपयोगी है। पाठकों को इससे लाभ उठाना चाहिये।

-प्रकाशक


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