गीता प्रेस, गोरखपुर >> श्रीनरसिंहपुराण श्रीनरसिंहपुराणगीताप्रेस
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इसमें भगवान् विष्णु के नरसिंहअवतार का वर्णन किया गया है। भक्ति के स्वरूप,भक्तों के लक्षण तथा ध्रुव आदि भक्तों के सुन्दर चरित्रों का वर्णन है। कलियुग के मनुष्यों के लिए बड़ी ही आशाप्रद बातें है। ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
श्रीनरसिंहपुराण का संक्षिप्त परिचय और निवेदन
श्रीनरसिंह पुराण सम्पूर्ण, हिन्दी-अनुवाद के साथ आप सभी भगवत्प्रेमी
महानुभावों की सेवा में प्रस्तुत है। इससे पूर्व यह
‘कल्याण’
वर्ष 45-‘अग्निपुराण’ तथा
‘गर्गसंहिता’ के
उत्तरार्धक के साथ (सन् 1971 ई.के) विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुआ था।
इसके महत्त्व, उपयोगिता तथा अत्यधिक माँगों को देखते हुए अब यह ग्रन्थकार
में पुन: प्रकाशित किया गया है।
अन्यान्य पुराणों की भाँति श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है। इसमें सभी पुराणों के लक्षण के अनुसार ही सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरितका सुन्दर वर्णन है। भगवान् के अवतारों की लीला कथा है, उसमें भगवान् श्रीरामका लीलाचरित प्रधानरूप से वर्णित है। श्रीमार्कण्डेय मुनि की मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की सुन्दर कथा है, उसमें ‘यमगीता’ है। कलियुग के मनुष्यों के लिए बड़ी ही आशाप्रद बातें है। इसमें कई ऐसे स्त्रोत-मन्त्रों का विधान बताया गया है, जिनके अनुष्ठान से भोग-मोक्ष की सिद्धि प्राप्त हो सकती है। भक्ति के स्वरूप, भक्तों के लक्षण तथा ध्रुव आदि भक्तों के सुन्दर चरित्रों का वर्णन है।
इस छोटे से पुराण में बहुत ही उपयोगी तथा जानने योग्य सामग्री है। आशा है, पाठक-पाठिका इसका पठन-मनन करेंगे तथा इसमें उल्लिखित कल्याणकारी विषयों को यथारुचि यथावश्यक अपने जीवन में उतारकर लाभ उठायेंगे।
अन्यान्य पुराणों की भाँति श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है। इसमें सभी पुराणों के लक्षण के अनुसार ही सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरितका सुन्दर वर्णन है। भगवान् के अवतारों की लीला कथा है, उसमें भगवान् श्रीरामका लीलाचरित प्रधानरूप से वर्णित है। श्रीमार्कण्डेय मुनि की मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की सुन्दर कथा है, उसमें ‘यमगीता’ है। कलियुग के मनुष्यों के लिए बड़ी ही आशाप्रद बातें है। इसमें कई ऐसे स्त्रोत-मन्त्रों का विधान बताया गया है, जिनके अनुष्ठान से भोग-मोक्ष की सिद्धि प्राप्त हो सकती है। भक्ति के स्वरूप, भक्तों के लक्षण तथा ध्रुव आदि भक्तों के सुन्दर चरित्रों का वर्णन है।
इस छोटे से पुराण में बहुत ही उपयोगी तथा जानने योग्य सामग्री है। आशा है, पाठक-पाठिका इसका पठन-मनन करेंगे तथा इसमें उल्लिखित कल्याणकारी विषयों को यथारुचि यथावश्यक अपने जीवन में उतारकर लाभ उठायेंगे।
पठतां श्रृण्वतां नृणां नरसिंह: प्रसीदति।
प्रसन्ने देवदेवेशे सर्वपपाक्षयो भवेत्।
प्रक्षीणपापबन्धास्ते मुक्तिं यान्ति नरा इति।
प्रसन्ने देवदेवेशे सर्वपपाक्षयो भवेत्।
प्रक्षीणपापबन्धास्ते मुक्तिं यान्ति नरा इति।
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