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अखाड़ा

सौरभ दुग्गल

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12060
आईएसबीएन :9789352664498

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

वर्ष 2000 में सिडनी के ओलंपिक खेलों के बाद पहलवान महावीर फोगाट ने ऐसा निर्णय लिया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। दो दिनों तक वह अपने आँगन में अखाड़े के लिए मिट्टी खोदते रहे और उनके पड़ोसी हैरानी से उन्हें देखते रहे। फिर एक दिन उन्होंने अपनी युवा बेटियों और भतीजे-भतीजियों को सुबह होते ही वहाँ बुलाया। वे जानती तक नहीं थीं कि उनके पिता का अजीबोगरीब फरमान हमेशा के लिए उनके जीवन को बदल देगा।

फिर भी अखाड़े में उनकी हर एक जीत के लिए उनके पिता को अपने अरमानों की एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। कन्या भ्रूण हत्या और निम्न साक्षरता दर के लिए कुख्यात हरियाणा के उसे छोटे से गाँव बलाली में फोगाट को न केवल जड़ें जमाकर बैठे सामाजिक द्वेष और उदासीन सरकार का सामना करना पड़ा, बल्कि अपने खेल में उन लड़कियों को प्रशिक्षित करने का नुकसान परिवार में विरोध और निजी त्रासदी के रूप में भी सहना पड़ा।

‘अखाड़ा’ असीम धैर्य वाले एक व्यक्ति, एक ऐसे पिता की अद्भुत कहानी है, जिसने सारी मुश्किलों से लड़कर अपनी बेटियों को ऐसा भविष्य दिया, जिसे उन्होंने कभी अपने सपने में भी नहीं देखा होगा। लड़कियों के लिए बराबरी का हक देने व समाज में लड़कों के समतुल्य बनाने को महज शब्दों में नहीं वरन् अपने कर्तृत्व में प्रकट करनेवाले अदम्य इच्छाशक्ति के धनी महावीर फोगाट की प्रेरणाप्रद जीवनी।

इसी व्यक्तित्व पर केंद्रित आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘दंगल’ ने कामयाबी का नया इतिहास लिखा।

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