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नाटक-एकाँकी >> मातोश्री

मातोश्री

सुमित्रा महाजन

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12137
आईएसबीएन :9789352661343

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‘मातोश्री’ देवी अहिल्याबाई के मातृत्व के श्रेष्ठ गुणों का परिचायक एक उत्कृष्ट नाटक है

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अहिल्याबाई होलकर एक बेटे, एक परिवार की नहीं, समस्त प्राणिमात्र की माँ बन गईं और प्रजा ने उन्हें प्रातः स्मरणीय, पुण्यश्लोका, देवी, लोकमाता मान अपनी आत्मा में स्थान दे रखा है।

प्रस्तुत नाटक ‘मातोश्री’ उसी चरित्र की नाटकीय प्रस्तुति है। लेखिका ने इसे देवी की प्रेरणा से लिपिबद्ध किया है। नाटक पठनीयता के स्थान पर प्रभावी अभिनयता के कारण अधिक गहरा और लंबे समय तक प्रभाव कायम रखता है। सुमित्राजी लेखिका नहीं हैं, लेकिन देवी के प्रति श्रद्धा एवं पूजाभाव ने उनसे नाटक लिखवा सिद्धहस्त नाटककार बना दिया।

नाटक ‘मातोश्री’ देवी अहिल्याबाई के मातृत्व के श्रेष्ठ गुणों का परिचायक है। नाटक न केवल पठनीय है, वरन् मंचनीय भी है, क्योंकि इसमें नाटक एवं मंचन की दृष्टि से सारे तत्त्व मौजूद हैं। स्वर, भाषा, संवाद पात्रानुकूल हैं। लेखिका ने नाटक के जरिए मातोश्री अहिल्याबाई की पारिवारिक त्रासद जिंदगी को अद्वितीय अभिव्यक्ति दी है।

एक सतत प्रेरणादायी नाटक।

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