आलोचना >> विवेकीराय आंचलिकता और लोकजीवन विवेकीराय आंचलिकता और लोकजीवनविनम्र सेन सिंह
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
विवेकी राय हिंदी साहित्य के पांत्तेक्य साहित्यकार हैं। उनके लेखन का समग्र रूप गाँव, किसान और उनकी दशा-दुर्दशा पर केन्द्रित है। वैसे तो गाँव को केंद्र में रखकर लिखने वाले साहित्यकार और भी हैं पर विवेकी राय ऐसे रचनाकार हैं जिनका सम्पूर्ण उर्वर और लेखकीय उर्जा का कालखंड गाँव में बीता। कोई भी लेखक तभी सफल होता है जब वह जो लिखता है वहीं जीता है अर्थात जो गाँव में रहा नहीं, गाँव की प्रकृति, उसके सौन्दर्य और खुलेपन को अपनी आँखों से निहारा नहीं, गाँव वालों के सीधे सरल व्यवहार के साथ समरस नहीं हुआ, खेती, किसानी गाय-बैल से जुदा नहीं वह गाँव का आत्मीय चित्र प्रस्तुतु करने में उतना समर्थ नहीं हो सकता जितना स्वयं गाँव को भोगने वाला या गाँव को ही जीने वाला लेखक समर्थ हो सकता है। विवेकी राय ऐसे ही विरल रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने गाँव को जिया है। यह पुस्तक विशेष रूप से उनके साहित्य पर आंचलिकता और लोकजीवन के प्रभाव को दर्शाती है। विवेकी राय के साहित्य के साथ ही उनके व्यक्तित्व दर्शन की दृष्टि से भी महत्व रखती है।
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