कविता संग्रह >> ओक में बूँदें ओक में बूँदेंजाबिर हुसैन
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जाबिर हुसेन को कथा डायरियाँ अपने समय की बेरहमी से रू-ब-रू कराती हैं। सच्चाई की परतें खोलती हैं। उसी प्रकार उनकी कविताएँ भी समाज की विसंगतियों से तकरार करती हैं। वो अपने कथ्य, लहजे और डिक्शन से पाठकों को सम्मोहित करने की कोशिश नहीं करते। उनकी तहरीरों में वर्तमान समय अपनी बारीकियों के साथ उभरता है। लेकिन, वो इसे किसी कटुता के दबाब से गम्भीर नहीं बनाते। सहजता उनकी कविताओं की वास्तविक पहचान है। ओक की बूँदें उनका चौथा काव्य-संग्रह है। एक प्रकार से, यह संग्रह हाल ही में प्रकाशित उनकी काव्य-पुस्तक कातर आँखों ने देखा का सृजनात्मक विस्तार है। जाबिर हुसेन कविताओं में अपने दीर्घ सामाजिक सरोकारों के प्रति सम्मान का जो सूक्ष्म और मर्मस्पर्शी अहसास भरते हैं, वो बेहद अनोखा है। वर्तमान संग्रह को कविताएँ इस कथन पर मुहर लगाती हैं।
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