नई पुस्तकें >> गाँधी की मृत्युु गाँधी की मृत्युुनेमेथ लास्लो
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘‘महात्मा गाँधी अपने समय में ही नहीं हमारे समय में भी एक प्रतिरोधक उपस्थिति हैं : उनका बीसवीं शताब्दी के विचार, राजनीति और सामाजिक कर्म पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन दिनों उनका बहुत बारीक पर अचूक अवमूल्यन करने का एक अभियान ही चला हुआ है। इस सन्दर्भ में उनकी मृत्यु पर लिखा गया यह हंगेरियन नाटक, जो सीधे हिन्दी में अनूदित किये जाने का एक बिरला उदाहरण भी है, प्रस्तुत करते हुए हमें उम्मीद है कि गाँधी-विचार और कर्म को ताज़ी नज़र से देखने के प्रयत्न में सहायक होगा।’’
— अशोक वाजपेयी
— अशोक वाजपेयी
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