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जिन्दगी एक कण है

राकेश मिश्र

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12334
आईएसबीएन :9788183619110

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जगत के नाना व्यापारों को अपनी तीखी संवेदना से ग्रहण कर उसे स्वानुभूति का हिस्सा बनाकर की गई अभिव्यक्त

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रस्तुत संकलन मिश्रजी की सर्जनात्मक प्रतिभा का एक अनूठा प्रयोग है जिसमें एक बौद्धिक की प्रश्नाकुलता, कवि सुलभ संवेदनात्मकता और एक विशुद्ध भारतीय मन की उदारता तथा निष्कलुषता सहज उपलब्ध है। कवि प्रत्यक्ष जगत के नाना व्यापारों को अपनी तीखी संवेदना से ग्रहण कर उसे स्वानुभूति का हिस्सा बनाकर अभिव्यक्त करता है। अतः सर्वत्र स्वाभाविकता बनी रहती है। अपने सरल मन की बातों को पूरी प्रामाणिकता और सहजता से कह जाना मिश्रजी की निजी विशेषता है। ये कविताएँ पाठक से एक आत्मीय संवाद कायम करती हैं। यहाँ कवि के निजी सरोकार भी समय और समाज का विमर्श प्रस्तुत करते हैं। ये कविताएँ अपनी अभिव्यंजना में अत्यधिक सटीक, व्यंजक और तलस्पर्शिनी हैं। इनमें काव्यानुभूति की प्रखरता तथा अभिव्यक्तिगत संयम एक साथ उपस्थित हैं। ये अपनी बुनावट में निहायत स्वच्छ, स्वस्थ और साभिप्राय हैं। इनका पारायण अपने आप में एक उत्तेजक और सार्थक अनुभव है। मिश्रजी अनावश्यक स्फीति से अपने को सर्वत्र बचाने में कामयाब रहे हैं। यह प्रबुद्ध मन की कविता है जिसके पाठ द्वारा पाठक के मन को परितृप्ति के साथ-साथ बौद्धिक खुराक भी मिलती है।

— पुरोवाक् से

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