लोगों की राय

कविता संग्रह >> कविता का अमर फल

कविता का अमर फल

लीलाधर जगूड़ी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12461
आईएसबीएन :9789389598148

Like this Hindi book 0

लीलाधर जगूड़ी का मानना है कि कविता ने जैसे पहले अपने लिए गद्य को पद्य का रूप दिया उसी तरह आधुनिक समय में कविता को एक नए गद्य की ज़रूरत है जो पद्य की सरसता को एक नया रूप-विधान दे सके। ‘कविता का अमर फल’ जगूड़ी का आधुनिक लोकगाथाओं जैसा संग्रह है। समय और स्मृति एक-दूसरे के अविभाज्य रूप बन जाते हैं। लगता है कि स्मृति ही समय है। वही घटनाओं के अंश सँभाले हुए है। ऋतुओं और वनस्पतियों का फिर से आ जाना पृथ्वी और ब्रह्मांड की स्मृति का वार्षिक पुनर्जन्म है। कभी-कभी इनकी कविताओं को पढ़ते हुए लगता है कि नये जितनी पुरानी कोई दूसरी चीज़ नहीं होती। कोई भी आविष्कार अपने स्थापित स्वरूप में परिष्कार का ही काम करता है। इनकी कविता पढ़ते हुए भाषा के अनेक रूपाकार उभारने की रचनात्मक शक्ति पाठक को प्राप्त होती है।

भर्तृहरि इन कविताओं की प्रेरणा के मूल में हैं। उस महान कवि ने कविता को कैसे सम्भव किया। बहुत प्रकार के बादल रहते हैं आसमान में, कुछ तो सृ‌‌‌ष्टि को भिगो देते हैं और कुछ बेकार ही गरजकर चले जाते हैं। इसी तरह काव्यानुभव भी सब एक तरह के नहीं होते। कुछ तो अपना शिल्प और गल्प भी लेकर आते हैं। जगूड़ी की कविताओं को ज़िन्दगी रक्त की भाषा में हवा, पानी और आग के मिट्टी में डाले जानेवाले बीज की तरह समेटे रहती है। वह सपनों के कर्म को शब्दों के मर्म में ढाल देती है। इन कविताओं के हर शब्द में अनुभव का रक्त बजता है। जो स्याही से लिखे शब्दों में अपने अर्थ की अरुणाई फैला देते हैं।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai