लोगों की राय
आलोचना >>
निराला
निराला
प्रकाशक :
राधाकृष्ण प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2018 |
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
|
पुस्तक क्रमांक : 12498
|
आईएसबीएन :9788171192854 |
|
0
|
हिंदी साहित्य में ‘निराला’ के योगदान को रेखांकित करने में डॉ. रामविलास शर्मा ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यह पुस्तक उस भूमिका का पहला अध्याय है। सन् 1949 में यह पहली बार छपी थी, तब तक सामाजिक यथार्थ के साथ निराला के रचनात्मक रिश्ते को समग्रता से नहीं समझ गया था। इस पुस्तक ने तब उस दिशा में महत्त्वपूर्ण काम किया। इसने ‘निराला साहित्य’ के मूल्यांकन की नई कसौटियाँ खोजीं। पिछले पचास सैलून में डॉ. शर्मा द्वारा निर्धारित इन कसौटियों के इर्द-गिर्द ही निराला साहित्य का अधिकांश विवेचन-विश्लेषण होता रहा है।
कहा जा सकता है कि स्वयं रामविलास शर्मा की कालजयी पुस्तक निराला की साहित्य साधना की आधारभूमि भी यह पुस्तक है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह मजाह ‘साहित्यिक दुनिया’ के लिए नहीं लिखी गई है, बल्कि रामविलासजी के ही शब्दों में, ‘इस पुस्तक को लिखने का मूल उद्देश्य यह रहा है कि साधारण पाठकों तक निराला साहित्य पहुँचे, दुरुहता की जो दीवार खड़ी करके विद्वानों ने निराला को उनके पाठकों से दूर रखने का प्रयास किया था, वह दीवार ढह जाए, इस उद्देश्य को ध्यान में रखने से पाठक अधिक सहानुभूति के साथ यह पुस्तक पढ़ सकेंगे।’
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai