लोगों की राय

जीवन कथाएँ >> गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा

गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा

योगेन्द्र प्रताप सिंह

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13114
आईएसबीएन :9788180312724

Like this Hindi book 0

गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा की मूल समस्या है कि इन पाँच सौ वर्षों के अवशेषों में बाबा को कहाँ खोजा जाए? यहाँ बाबा तुलसीदास की खोज का आधार उनकी कृतियाँ तथा पाठ हैं

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन चरित प्राय: उनके जीवनकाल से ही लिखा जाता रहा है। इसमें संदेह नहीं कि उन्होंने अपनी दीर्घायु के बीच पर्याप्त ख्याति अर्जित कर ली थी और मुराल सम्राट अकबर, राजा मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना, मीराबाई, राजा टोडर आदि ने उनकी' श्रीरामभक्ति के प्रति पर्याप्त श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया था। साहित्य की परम्परा में उनकी कालजयी कृति श्रीरामचरित-मानस की चर्चा भक्ति एवं रीतिकाल से ही बराबर होती चली रही है।
गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा की मूल समस्या है कि इन पाँच सौ वर्षों के अवशेषों में बाबा को कहाँ खोजा जाए? यहाँ बाबा तुलसीदास की खोज का आधार उनकी कृतियाँ तथा पाठ हैं। प्रत्येक सर्जक अपनी कृति के पाठ में वर्ण से लेकर उसकी समग्र प्रबन्ध रचना तक व्याप्त रहता है- कण-कण में व्याप्त निर्गुण ब्रह्म की भांति। साधक के लिए, अणु- अणु में व्याप्त ब्रह्म से आत्मसाक्षात्कार करके, उसे समाधि चित्त में उतारना बड़ी दुर्लभ समस्या है। ठीक उसी प्रकार, तुलसी की कृतियों में सर्वत्र व्याप्त महात्मा तुलसीदास का आत्मसाक्षात्कार करके उन्हें स्वानुभूति एवं सृजन के स्तर पर उतारना लेखक की वर्षपर्यन्त तक की चेष्टा रही है। इसे औपन्यासिक कृति का रूप देने के लिए 'क्वचिदन्यतोपुपि' का भी उसे आधार लेना पड़ा है- किन्तु चेष्टा यही रही है- कि कृतियों का सृजन करके उन्हीं में विलीन गोस्वामी तुलसीदास को शब्दों से कैसे रेखांकित किया जाए। जो बन पड़ा, वह सामने है। अन्त में, एक आभार पुन: प्रकाशक की ओर से। इस कृति के प्रकाशन में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए अयोध्या शोध-संस्थान, अयोध्या-फैजाबाद के निदेशक डी. योगेन्द्र प्रताप सिंह तथा रजिस्ट्रीकरण अधिकारी व विशेष कार्याधिकारी डी. ए. पी. गौड़ का प्रकाशक हृदय से आभार व्यक्त करता है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book