धर्म एवं दर्शन >> ज्ञान-दर्शन ज्ञान-दर्शनश्याम किशोर सेठनीलिमा मिश्रा
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इस पुस्तक में ज्ञान संबंधी दार्शनिक समस्याओं का एक प्रारंभिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है
इस पुस्तक में ज्ञान संबंधी दार्शनिक समस्याओं का एक प्रारंभिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। ज्ञान, सत, और मूल्य दर्शन के प्रमुख विषय-क्षेत्र माने गये है और इसमें संदेह नहीं कि इनमें ज्ञान एक आधारभूत स्थान रखता है जिसके प्रश्नों के उत्तर सत् और मूल्य संबंधी प्रश्नों पर भी प्रकाश डालते हैं। दर्शन विभिन्न सूचनाओं का समूह न होकर सोचने या तर्क-वितर्क करने की प्रक्रिया है। इसीलिये इस पुस्तक में यह प्रयत्न किया गया है कि दार्शनिक प्रश्न और उनके हल के प्रयत्न उसी रूप में प्रस्तुत किये जाएँ, न कि विभित्र दार्शनिकों द्वारा प्रतिपादित अंतिम सिद्धांतों के रूप में। इस पुस्तक की रुचि दर्शन के इतिहास में न होकर उस विचार या तर्क में है जिसके द्वारा समस्याओं के समाधान की तलाश होती है और जो दर्शन का सार-तत्व है। अत: प्रस्तुत लेखन का यह उद्देश्य रहा है कि पाठकों को केवल विभिन्न दार्शनिक, विचारों का मात्र संग्रह करने की नहीं, बल्कि स्वतंत्र चिंतन की प्रेरणा मिले। स्पष्ट है कि ऐसे चिंतन एवं उसकी अभिव्यक्ति के लिये अपनी मातृभाषा ही सबसे उपयुक्त साधन है। क्योंकि विचारों की स्पष्ट समझ और सृजनशीलता का आदर्श प्राप्त करना उसी दशा में संभव है। आशा है कि प्रस्तुत ग्रंथ का इस दिशा में अच्छा योगदान होगा।
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