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नाटक-एकाँकी >>
इतिश्री
इतिश्री
प्रकाशक :
लोकभारती प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 1993 |
पृष्ठ :101
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 13151
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आईएसबीएन :9788180318191 |
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वस्तु की दृष्टि से यह अभूतपूर्व है। यह नाटक सर्वथा मंचन के योग्य है। निश्चय ही यह बहुत लोकप्रिय होगा
'एक बार अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन सिनेट जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक जगह देखा, सड़क की बगल में दलदल में फँसा एक आदमी दलदल से निकलने का प्रयास कर रहा था, किन्तु यह दलदल में और भी धँसता जा रहा था, तब अब्राहम लिंकन स्वयं कीचड़ में घुसकर, उस आदमी का हाथ पकड़कर उसे दलदल के बाहर ले आए। देखनेवालों ने आश्चर्य व्यक्त किया, तो अब्राहम लिंकन ने उनसे कहा, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। मैंने यह काम अपने मन की पीड़ा शान्त करने के लिए ही किया। इस आदमी को दलदल में छटपटाते देखकर मेरा मन भी छटपटाने लगा था।...आशा है आप लोग मेरा मन्तव्य समझ गए होंगे। अच्छा, अब विदा। डॉ. राजगोपाल के ड्राइवर श्याम ने इसी मन्तव्य से उत्प्रेरित होकर अपने मालिक के परिवार के लिए वह काम कर दिखाया जिसे बड़े-बड़े लोग भी शायद ही कर सकें। वस्तु की दृष्टि से यह अभूतपूर्व है। यह नाटक सर्वथा मंचन के योग्य है। निश्चय ही यह बहुत लोकप्रिय होगा।
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