आलोचना >> जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसादनन्द दुलारे वाजपेयी
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इस पुस्तक में कवि, कथाकार, नाटककार प्रसाद को संपूर्ण परिवेश में परखा गया है
जयशंकर प्रसाद 1939 में प्रकाशित आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की प्रारम्भिक कृति है जो नये संस्करण के साथ साहित्य प्रेमियों, छात्रों के लिये उपलब्ध है। इसमें प्रसाद जी पर लम्बी भूमिका के साथ पंद्रह निबन्ध हैं। कथा साहित्य, उपन्यास, काव्य और नाटकों पर प्रसाद जी के विराट व्यक्तित्व का यह समाकलन है। रचनाकार की अंतःप्रेरणा, अनुसंधान का परिचय इस पुस्तक में प्राप्त है।
इस पुस्तक में कवि, कथाकार, नाटककार प्रसाद को संपूर्ण परिवेश में परखा गया है। एक व्यक्ति के इन विभिन्न रंगों में कितनी शालीनता, संस्कार, भाषागत सौष्ठव हमें प्राप्त है, इस पर विस्तृत विवेचन है।
अतीत के विशाल चित्रफलक पर पचास वर्षों के लम्बे समय तक उनका साहित्य जगत पर एकछत्र एकाधिकार निःसंदेह गौरव का विषय है।
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