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कैलाश गौतम समग्र (खंड 1-3)

श्लेष गौतम

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :1501
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13165
आईएसबीएन :9789352211814

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कैलाश गौतम समग्र (तीन खंड) वस्तुतः समय के सच को रेखांकित करते हुए, चुनौतियों में जूझते हुए आम जनमानस की ही आवाज है

कैलाश गौतम समग्र (तीन खंड) वस्तुतः समय के सच को रेखांकित करते हुए, चुनौतियों में जूझते हुए आम जनमानस की ही आवाज है। लगभग पैंतालिस सहज-साहित्यिक मौलिक अभिव्यक्ति का बोलता-बतियाना दस्तावेज हैं। सुव्यवस्थित दुर्व्यवस्था की विद्रूपताओं-विसंगतियों पर चोट के साथ-साथ, राग-अनुराग मिलन-मनुहार विछोह भी है। बदलते हुए गाँव और शहरीकरण का टूटना तिलस्म भी। गंगा, झुनिया, अमावस्या का मेला, कचहरी, भाभी की चिट्ठी, कुर्सी, अन्हरे से लड़ाई, पप्पू की दुलहिन, रामलाल का फगुआ, धुरंधर, मीराबाई जैसी अनेकानेक कालजयी रचनाये भी जो आम आदमी से लेकर शीर्षस्थ आलोचकों व् समीक्षकों के भी जहन-जुबान पर है। वह सारे पात्र और देसज मुहावरे सब सजीव हो उठते है, ऐसा लगता है। लोकबोली की मिठास के साथ ही तीज-त्योहारों हंसी- ख़ुशी और पनप रहा फीकापन भी है। महंगाई की मार है तो रिश्तों की मिठास-खटास भी। तीन खण्डों में प्रस्तुत समग्र कैलाश गौतम के गद्य-पद्य का समूचा रचना संसार है। सुविख्यात संपादकों व आलोचकों की भूमिकाओं के साथ मनकवि-जनकवि कैलाश गौतम की रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक निष्पक्ष, सच्चा और सारगर्भित लेखा-जोखा है।

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