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कोशकला

बदरीनाथ कपूर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :195
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13180
आईएसबीएन :9788180311772

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कोश-कला के प्रस्तुत संस्करण में नए तथ्यों का समावेश तो हुआ ही है, कई नई प्रस्थापनाओं पर भी पुनर्विचार हुआ है

'कोश निर्माण' की विधा पर लिखी गई विश्व साहित्य में यह पहली पुस्तक है। वर्मा जी 'हिन्दी शब्द सागर' के अन्यतम संपादकों में से थे। वही एक ऐसे संपादक भी थे जिन्होंने आरंभ से अंत तक, अपने इस दायित्व का निर्वाह किया। इसके उपरांत उन्होंने संक्षिप्त शब्द सागर, उर्दू हिंदी कोश, प्रामाणिक हिंदी तथा मानक हिन्दी कोश की भी रचना की। इस प्रकार उनके जीवन का अधिकांश कोश-निर्माण में ही व्यतीत हुआ कोश-कला को उनके कोश-निर्माण काल के अनुभवों का निचोड़ कहें तो अत्युक्ति न होगी।
'कोश-निर्माण' का कार्य विज्ञान भी है और कला भी। कोश की रचना का आधार वैज्ञानिक पद्धति तथा नियम हैं इसलिए यह विज्ञान है। जो सत्य है और सुंदर है उसकी अभिव्यक्ति इसका सरोकार है इसलिए यह कला है। वर्मा जी ने कोश निर्माण के हर पहलू पर इस कृति में गंभीरता और सूक्ष्मता से विचार किया है।
कोश-कला के प्रस्तुत संस्करण में नए तथ्यों का समावेश तो हुआ ही है, कई नई प्रस्थापनाओं पर भी पुनर्विचार हुआ है।

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