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उपन्यास >> राजा की भेरी

राजा की भेरी

शान्डिल्य

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1988
पृष्ठ :287
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13266
आईएसबीएन :0

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राजा भेंरिगे (राजा की भेरी) अठारहवीं शताब्दी के दक्षिण भारत में सत्ता संघर्ष का एक ऐतिहासिक उपन्यास है

भारतीय उपन्यास के क्षेत्र में शांडिल्य का विशिष्ट और गौरवपूर्ण स्थान है। आपके ऐतिहासिक उपन्यास विशेष उल्लेखनीय हैं। स्वदेश मित्रन, हिन्दुस्तान, कुमुद., आनन्द बिगडन् आदि अनेक तमिल पत्रिकाओं के साथ आप आजीवन सम्बद्ध रहे। आप तमिल ले खक संघ के संस्थापक सदस्य भी थे और अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं से आपका संबंध रहा। आपकी रचनाएं केवल उपन्यास क्षेत्र तक ही सी मित नहीं रहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक, धा सिंक, सांस्कृतिक आदि कई विष यों पर आपने अने क ग्रंथों की रचना की। करनपुरा (समुद्री कपोत) आपकी सबसे बृहदाकार रचना है जिसके बाद प्रस्तुत उपन्यास-राजा भेंरिगे (राजा की भेरी) मननी य और गणनीय रचना मानी जाती है।
राजा भेंरिगे (राजा की भेरी) अठारहवीं शताब्दी के दक्षिण भारत में सत्ता संघर्ष का एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसके तीन नायक हैं-राबर्ट क्लाइव, चन्दा साहब (कर्नाटक का नवाब) और राजा प्रताप सिंह जाकर का मराठा राजपुत्र)। इस उपन्यास की रचना के लिए लेखक को अनेक ऐतिहासिक ग्रे थों का अध्ययन करना पड़ा था जिसका प्रमाण प्रस्तुत रचना के प्रत्येक प्रकरण में मिलता है। साहित्यिक दृष्टि से रोचक और ऐतिहासिक दृष्टि से ज्ञानवर्द्धक इस उपन्यास का हिन्दी अनुवाद गुणज पाठकों के सामने प्रस्तुत करते हुए परिषद को विशेष प्रसन्नता हो रही है।

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