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जीवन कथाएँ >> श्री सत्य साईं बाबा : दिव्य महिमा श्री सत्य साईं बाबा : दिव्य महिमागणपतिचन्द्र गुप्त
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आंध्र प्रदेश के एक गाँव पुट्टापर्ती में 23 नवम्बर, 1926 को श्री सत्य साई ने जन्म लिया
आंध्र प्रदेश के एक गाँव पुट्टापर्ती में 23 नवम्बर, 1926 को श्री सत्य साई ने जन्म लिया। इसके कुछ घंटों के बाद ही अगले दिन महर्षि अरविन्द ने अपनी दिव्य चेतना के बल पर घोषित किया कि दिव्य शक्ति धरती पर अवतरित हो गई है, वह समस्त मानवता का नेतृत्व करती हुई उसे विकास की उच्चतर मंजिल तक ले जाएगी। अस्तु, 24 नवम्बर अरविन्द आश्रम में ‘सिद्धि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। क्या दिव्य सत्ता का यह अवतरण सत्य साई के अवतरण की घटना का पर्याय है या और कुछ?
20 अक्टूबर, 1940 को सत्य ने विद्यालय से लौटकर अपना बस्ता फेंकते हुए घर वालों से कहा - ‘मैं जा रहा हूँ। मेरे भक्त मुझे पुकार रहे हैं...अब मुझे समझाने-बुझाने का प्रयास छोड़ दो। माया हट गई है... याद रखो, मैं अब ‘साई बाबा’ हूँ।’
21 वर्ष की आयु में सत्य साई ने अपने बड़े भाई के पत्र के उत्तर में लिखा - ‘मेरे सामने एक महान कार्य है। मानव जाति को आनन्द प्रदान करके उसे विकसित करना। मेरा यह संकल्प है कि जो भी पथ-भ्रष्ट हैं, उन्हें सच्चाई के पथ पर लाकर उनका उद्धार कराना।...’
‘भगवान सत्य साई बाबा हमारी पीढ़ी के वरदान हैं। जहाँ वे चरण रखते हैं, वही भूमि पवित्र हो जाती है। जहाँ वे बैठते हैं, वहाँ दिव्य मंदिर बन जाते हैं।...वस्तुतः ईश्वर की परम शक्ति का ही एक रूप मानवीय अवतार के रूप में प्रकट है।’
वी.आर. कृष्ण अय्यर भूतपूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट
‘मैं उनसे मिला, उन्हें देखा और नतमस्तक हो गया।’
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी भूतपूर्व राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
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