धर्म एवं दर्शन >> भज ले रे मन भज ले रे मनआदर्श अग्रवाल
|
0 |
सबके सुख की कामना करते ईश्वरीय प्रेम में डूबे स्वर
सबके सुख की कामना करते ईश्वरीय प्रेम में डूबे स्वर। चाहे भजनों की बात करें, चाहे दोहे, लोकगीतों और आराधन-गीतों की, ये सभी देश की लोक-श्रवण परंपरा का अटूट हिस्सा हैं। इनमें धर्म और संस्कृति की खुशबू बसी है। ये मधुर संगीतमय अभिव्यक्तियाँ लोकमानस की सनातन श्रद्धा का प्रतीक हैं और विश्वास, आस्था और समर्पण का संगम हैं।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book