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सामाजिक विमर्श >> भारतीय समाज क्रांति के जनक महात्मा जोतिबा फुले

भारतीय समाज क्रांति के जनक महात्मा जोतिबा फुले

एम बी शाह

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :106
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13421
आईएसबीएन :9788171197279

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निष्कियता के लिए इस अदम्य योद्धा के मन में जितनी घृणा है, उतनी संसार के किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं होगी

सत्याग्रह' शब्द का आविष्कार गांधीजी ने तब किया था, जब वे अफ्रीका में थे-उद्देश्य था अपनी कर्म-साधना के साथ निष्कि्रय-प्रतिरोध का भेद स्पष्ट करना। यूरोपवाले गांधी के आदोलन को 'निष्क्रिय प्रतिरोध' (अथवा अप्रतिरोध) के रूप में समझना चाहते हैं, जबकि इससे बड़ी गलती दूसरी नहीं हो सकती। निष्कियता के लिए इस अदम्य योद्धा के मन में जितनी घृणा है, उतनी संसार के किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं होगी-ऐसे वीर 'अप्रतिरोधी' का दृष्टांत संसार में सचमुच विरल है। उनके दोलन का सार तत्व है- 'सक्रिय प्रतिरोध', जिसने अपने प्रेम, विश्वास और आत्मत्याग की तीन सम्मिलित शक्तियों के साथ 'सत्याग्रह' की संज्ञा धारण की है। कायर मानो उनकी छाया भी नहीं छूना चाहता, उसे वे देश से बाहर निकालकर रहेंगे। आलसी और अकर्मण्य की अपेक्षा वह अच्छा है, जो हिंसा से प्रेरित है।

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