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खेल पत्रकारिता

सुशील दोशी और सुरेश कौशिक

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13519
आईएसबीएन :8171198481

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खेल अपने आप में तो दिलचस्प होता ही है परन्तु समाचारपत्रों में उसकी प्रस्तुति उसे और अधिक दिलचस्प या सामान बना देती है।

आजकल मीडिया में क्रिकेट इस कदर छाया हुआ है कि वह खेल का पर्याय-सा बन गया है। सौभाग्यवश इस देश के कुछ हिस्सों में, कुछ व्यक्तियों में, उघैर दुनिया के बहुत से देशों में दूसरे खेलों की लोकप्रियता खेल के व्यापक फलक को सही ढंग से उजागर करती है। खेल पत्रकारिता के लिए आप में एक अच्छे पत्रकार के सभी गुण होने चाहिए परन्तु उसके अलावा खेल के क्षेत्र की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ और बातें भी जरूरी हैं। खेल पत्रकारिता केवल वर्णनात्मक नहीं है, उसमें विश्लेषण और मौलिकता के लिए भी एक बड़ा दायरा उपलब्ध रहता है।
खेल अपने आप में तो दिलचस्प होता ही है परन्तु समाचारपत्रों में उसकी प्रस्तुति उसे और अधिक दिलचस्प या सामान बना देती है। खेल के रस और आनन्द को शब्दों के माध्यम से ऐसे पेश करना जिसमें खेल देखने से अधिक उसका समाचार पढ़ने में रस और आनन्द आए सफल खेल पत्रकारिता का मापदंड है।
अच्छी खेल पत्रकारिता के लिए जरूरी ज्ञान और कौशल देनेवाली यह पुस्तक उन सबके लिए उपयोगी होगी जो खेल के निरन्तर लोकप्रिय हो रहे क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।

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