नाटक-एकाँकी >> नाटककार भारतेन्दु की रंग-परिकल्पना नाटककार भारतेन्दु की रंग-परिकल्पनासत्येन्द्र कुमार तनेजा
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हिन्दी में व्यावहारिक विश्लेषण से युक्त नाट्यालोचन की यह लगभग पहली पुस्तक है
नाटक की परिभाषा... मंच-तंत्र की अपेक्षाओं की दृष्टि से करनी होगी...नए नाट्य-विधान और नयी रंगविधियों की अन्वीक्षा करनी होगी। नाट्यालोचन के लिए इस राह पर चलना एक बहुत बड़ी चुनौती है... सत्येन्द्र कुमार तनेजा की पुस्तक नाटककार भारतेन्दु की रंग-परिकल्पना इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है... इस पुस्तक में शास्त्रीय मान्यताओं की अवहेलना किए बिना भारतेन्दु की रंग-परिकल्पना को पहचानने का प्रयास किया है... आज हिन्दी में इसी प्रकार की रंगचेतना युक्त आलोचनाओं की आवश्यकता है...इस पुस्तक में नाट्यालोचन को नयी दिशा देने एवं नये प्रतिमान स्थापित करने की क्षमता हे इसे स्वीकार करना होगा।
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