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परिवर्तन
परिवर्तन
प्रकाशक :
राधाकृष्ण प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2013 |
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 13585
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आईएसबीएन :9788183616195 |
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लघु प्रसंगों में बड़ा अर्थ प्राप्त करनेवाली इन रचनाओं से निश्चितरूपेण एक दृष्टि प्राप्त होती है
एक प्रचलित उक्ति है, 'देखन में छोटे लगें घाव करें गम्भीर।' यह उक्ति 'परिवर्तन' संग्रह की छोटी-छोटी कहानियों पर पूर्णत: खरी उतरती हैं। लेखक राजेश माहेश्वरी ने बोध कथाओं की परम्परा से प्रेरणा ग्रहण की है। भारतीय साहित्य में छोटी-छोटी कहानियों (या कथाओं) की समृद्ध उपस्थिति है। नैतिकता व सामाजिकता आदि का उपदेश देने के लिए भी इन कथाओं का उपयोग होता रहा है। शिल्प के जितने प्रयोग ऐसी कहानियों में किए गए हैं वे भी उल्लेखनीय हैं। राजेश माहेश्वरी ने 'परिवर्तन' की कहानियों में उदाहरण और प्रबोधन-तत्त्व को प्रमुखता दी है। वे कभी वास्तविक घटना के भीतर कोई मूल्यवान प्रेरणा-सूत्र तलाश लेते हैं। कभी 'गल्प' की तरह कल्पना का आश्रय लेते हैं। इन दोनों प्रविधियों से वे जीवन के अर्थ को कुछ और प्रशस्त व उदात्त बनाते हैं। कुछ रचनाएँ प्रश्नोत्तर शैली में हैं और उनमें कहानी का तत्त्व गौण है। इसी प्रकार कहीं-कहीं प्रत्यक्ष उपदेश की प्रवृत्ति भी प्रभावी है। महत्त्वपूर्ण यह है कि लेखक ने स्थान स्थान पर प्रबोधन-सूत्र प्रदान किए हैं। 'दीपक और जीवन' का सन्देश है, 'मानव जीवन व दीपक का प्रारम्भ व अन्त समान है। हमारा जीवन दीपक के समान प्रकाश पुंज बनकर देश व समाज के काम आए, यही अपेक्षा है।' लघु प्रसंगों में बड़ा अर्थ प्राप्त करनेवाली इन रचनाओं से निश्चितरूपेण एक दृष्टि प्राप्त होती है।
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