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उत्तरायण
उत्तरायण
प्रकाशक :
राधाकृष्ण प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2013 |
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 13664
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आईएसबीएन :9788183615884 |
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रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे लिए प्रकाश और समरसता की आस्था के जीवित प्रतीक रहे हैं।
रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे लिए प्रकाश और समरसता की आस्था के जीवित प्रतीक रहे हैं। वे मुक्त पंछी के समान आँधी और तूफान के बीच शाश्वत-काल के संगीत की रचना करते रहे हैं। उनकी उत्कृष्ट कला कभी भी स्वतंत्रता के हित में मानवीय संकटों और जनता के वीरतापूर्ण संघर्षों के प्रति उदासीन नहीं रही। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा है वे महान प्रहरी हैं। टैगोर ने संकट के क्षणों में अपने देशवासियों और दुनिया की स्पष्ट और निर्भय दृष्टि से पहरेदारी की है। हम आज जो कुछ भी हैं और जो कुछ हमने सीखा है वह सब उनकी कविता और प्रेम की अजस्र सरिता से अभिसंचित हैं या जुडे़ हुए हैं।
- रोम्या रोलाँ
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