कविता संग्रह >> आहटें आस पास आहटें आस पासपंकज सिंह
|
0 |
यथार्थ को व्यक्त करना कलाकार का बहुत ही पहला और बहुत ही बुनियादी धर्म है,
आहटें आसपास पंकज सिंह हैं। उनके एप्रोच से मतभेद हो सकता है: एक हद तक। लेकिन उनकी एक उत्कट आकांक्षा, कुछ यथार्थ को व्यक्त करने की, और उस यथार्थ से गुथने की - इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यह कुछ ऐसी है जैसी कि मुक्तिबोध की थी अपने जमाने में बहुत मेहनत से। उस यथार्थ को व्यक्त करने की। यथार्थ को व्यक्त करना कलाकार का बहुत ही पहला और बहुत ही बुनियादी धर्म है, और उस धर्म में वह कामयाब ही हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन ऐसी कोशिश और उस कोशिश में किसी हद तक भी कामयाब होना मेरे लिए बड़ी आदरणीय चीज होती है। तो उसमें विभिन्न रूप से विभिन्न दृष्टियों से जो कवि संलग्न है और उसमें अगर काव्य के स्तर पर काव्याभिव्यक्ति के स्तर पर कुछ किया है उन्होंने तो उसका आदर होना चाहिए और मैं उनका आदर करता हूँ... - शमशेर बहादुर सिंह पूर्वग्रह, जनवरी-अप्रैल 1976
|