कविता संग्रह >> अनुभव के आकाश में चांद अनुभव के आकाश में चांदलीलाधर जगूड़ी
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साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित अनुभव के आकाश में चाँद के बाद लीलाधर जगूड़ी का नया कविता-संग्रह ईश्वर की अध्यक्षता में जीवन और अनुभव के अप्रत्याशित विस्तारों में जाने की एक उत्कट कोशिश है।
सातवें दशक में नाटक जारी है के प्रकाशन से लीलाधर जगूड़ी की कविता अपने विभिन्न पेचीदा मोड़ों और पड़ावों से होती हुई बीसवीं सदी के अंतिम दशक में अनुभव के आकाश में चाँद नमक इस नए संग्रह के साथ एक नई जगह पर आ पँहुची है। इन 74 कविताओं में जगूड़ी अपने समय के बाहर और भीतर को; पास और दूर को; उसके अन्तः स्रोतों और अंतर्विरोधों को एक साथ देख लेते हैं। निरंतर होते जा रहे इस संसार के ताप से पके हुए आत्मस्थ सौन्दर्य की ये कविताएँ स्मृति, उपस्थिति और संभाव्यता के बीच सहज आवा-जाही करती हैं। इन कविताओं में अनुभव का आकाश एक साथ ऊँचा और गहरा; विस्तृत और सघन हुआ है। जगूड़ी की पहचान सबसे पहले अपने समय और परिवेश को पैनी निगाह से देखने वाले कवि के रूप में रही है लेकिन इस संग्रह में वे मूलभूमि छोड़े बिना और अधिक अनुभव संपन्न होकर बाहर आते देखते हैं। यह बाहर आना समकालीनता का इतिहास लिखने जैसा एक महत्त्पूर्ण उपक्रम जान पड़ता है। अनुभव के आकाश में चाँद की कवितायेँ हमें हिंदी कविता का एक नया व्यक्तित्व दिखाती है । इसकी वजह कथ्य के अलावा इनके उस शिल्प की विविधता में भी है जो अत्यंत संवेदनशील भाषा और जोखिम उठाती प्रयोगशीलता से भरी हुई है।
दरअसल यह संग्रह कवि के इस विश्वास का भी उदहारण है कि जीवन के हरेक अनुभव को भाषा का अनुभव बनना चाहिए। जीवन के बाजार में आत्मा की तरह विस्मत और विकल ये कविताएँ इस सच को रेखांकित करती चलती हैं कि सिक्के का दूसरा पहलू कहीं ज्यादा महत्त्पूर्ण है। दृश्य के अदृश्य को दिखाने में जगूड़ी की इन कविताओं की तात्विक मुखरता और इनका आत्निष्ठ एकांत अपने साथ हमें संलग्न ही नहीं करते बल्कि अपने में अन्तर्निहित भी करते हैं।
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