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सिनेमा एवं मनोरंजन >> बाजार के बाजीगर

बाजार के बाजीगर

प्रहलाद अग्रवाल

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :167
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13744
आईएसबीएन :9788126714032

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कहिये कि हिंदी सिनेमा का नया सुनहरा दौर शुरू हो चुका है।

कहिये कि हिंदी सिनेमा का नया सुनहरा दौर शुरू हो चुका है। एक बिलकुल नई जगमगाती पीढ़ी समूचे परिदृश्य पर कब्जा जमा चुकी है। उसने तमाम शक-शुब्‍हा नेस्तनाबूत कर अपनी फिल्मों में लोकप्रिय चरित्रों की ऐसी बुनियादें डाली हैं जिसने बीसवीं शताब्दी के तमाम प्रतिमानों की चूलें हिला दी हैं। स्थापित प्रतिमानों को खारिज करने की जहमत उठाने में इसकी कोई रुचि नहीं है। वह उन प्रतिमानों को अपने दौर के साथ खड़ा करती है। और उनसे एक कदम. आगे जाकर। कई मायनों में सौ कदम पीछे रहते हुए भी। वह जिसे प्रथम पुरुष कहा जाता है, कोई चालीस साल बाद अपनी किताबी जुबान की चौहद्दी से बाहर निकला है। आज आशुतोष गोवारीकर, संजय लीला भंसाली, मधुर भंडारकर, राजकुमार हीरानी, करन जौहर और आदित्य चोपड़ा उन फिल्मकारों के नाम हैं जिनकी फिल्में सिर्फ सितारों के नाम से नहीं पहचानी जातीं। आज फिर परिदृश्य सुनहरे दौर की तरह ही भरा-पूरा है। इसमें कोई शक नहीं कि यह एक नए सुनहरे दौर की शुरुआत है। लेकिन बस शुरुआत।

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