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भारत की भाषा समस्या

रामविलास शर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :352
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13753
आईएसबीएन :9788126705702

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भारत की भाषा समस्या भारत की भाषा-समस्या एक ज्वलंत राष्ट्रीय समस्या है।

भारत की भाषा समस्या भारत की भाषा-समस्या एक ज्वलंत राष्ट्रीय समस्या है। सुप्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक और विचारक डॉ. रामविलास शर्मा के अनुसार यह ‘विशुद्ध भाषा-विज्ञान की समस्या’ नहीं बल्कि ‘बहुजातीय राष्ट्र के गठन और विकास की ऐतिहासिक-राजनीतिक समस्या’ है। स्वाधीनता के तीन दशक बाद भी अगर यह समस्या ज्यों-की-त्यों बनी है तो संभवतः इसलिए कि उनकी तरह औरों ने भी इस समस्या को इसके वास्तविक और व्यापक परिप्रेक्ष्य में रखकर देखने का प्रयास नहीं किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ में रामविलास जी ने भाषा-समस्या के विभिन्न पक्षों की विस्तार से चर्चा की है तथा इस बात पर बल दिया है कि सबसे पहले अंग्रेजी के प्रभुत्व को समाप्त करना आवश्यक है, क्योंकि वह भारत की सभी भाषाओं पर साम्राज्यवादियों द्वारा लादी हुई भाषा है। भारत की भाषा-समस्या के हल के लिए वह ‘अनिवार्य राष्ट्र-भाषा’ नहीं बल्कि संपर्क भाषा की बात करते हैं जो हिंदी ही हो सकती है। हिंदी के जातीय स्वरूप की चर्चा के संदर्भ में वह यह स्पष्ट करते हैं कि हिंदी और उर्दू में ‘बुनियादी एकता’ तथा हिंदी की जनपदीय बोलियाँ परस्पर-संबद्ध हैं। भाषा-समस्या पर भारतीय जनता का सामाजिक और सांस्कृतिक भविष्य निर्भर करता है, इसलिए वह इसे आवश्यक मानते हैं कि ‘हम अपने बहुजातीय राष्ट्र की विशेषताएँ पहचानें, इस राष्ट्र में हिंदी-भाषी जाति की भूमिका पहचानें।’ इस पुस्तक में दिए गए उनके अकाट्य तर्क समस्या को समझने की सही दृष्टि ही नहीं देते, समस्या-समाधान की दिशा में मन को आंदोलित भी करते हैं।

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