नारी विमर्श >> छोटी दरबी और नर्बदा छोटी दरबी और नर्बदानीलम गुप्ता
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इस पुस्तक में दक्षिण राजस्थान के वन क्षेत्र की अनुसूचित जाति, जनजाति की निन्यानबे फीसद निरक्षर महिलाओं के घर से बाहर निकलने और महिला मंडल बनाने के द्वंद्व, साहस और हाथ में आर्थिक ताकत आ जाने के साथ ही उनके भीतर अपने अस्तित्व के अहसास का विवरण है।
छोटी दरबी और नर्बदा इस पुस्तक में दक्षिण राजस्थान के वन क्षेत्र की अनुसूचित जाति, जनजाति की निन्यानबे फीसद निरक्षर महिलाओं के घर से बाहर निकलने और महिला मंडल बनाने के द्वंद्व, साहस और हाथ में आर्थिक ताकत आ जाने के साथ ही उनके भीतर अपने अस्तित्व के अहसास का विवरण है। गाँव में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए इन महिलाओं की पहल, उनके काम और उस काम में उनके व्यापक सामाजिक, परिवेशगत व पर्यावणीय नजरिए का विश्लेषण भी इस पुस्तक में किया गया है। पर्यावरण और स्त्री-विषयों पर लगातार नजर रखने वाली पत्रकार नीलम गुप्ता ने इस पुस्तक में यह बताने की कोशिश की है कि पानी के लिए काम करते हुए समाज में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की अवधारणा लगातार कभी पृष्ठभूमि में, तो कभी प्रत्यक्ष काम करती रहती है। दूसरा, यह काम वह बिसरा दिया गया काम है जो कभी यहाँ की सामाजिक व्यवस्था में वैयक्तिक व सामाजिक स्तर पर जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा होता था। अंतिम दो अध्यायों में गाँव में पानी आने से कैसे महिलाओं का जीवन बदला, कैसे उनका निजी, पारिवारिक व सामाजिक जीवन सुखद हुआ, इसका वर्णन किया गया है।
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