लोगों की राय

आलोचना >> दिनकर अर्धनारीश्वर कवि

दिनकर अर्धनारीश्वर कवि

नन्दकिशोर नवल

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13831
आईएसबीएन :9788126724857

Like this Hindi book 0

दिनकर आधुनिक हिंदी कविता के उत्तर–छायावादी वा नवस्वच्छंदतावादी दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि थे।

दिनकर आधुनिक हिंदी कविता के उत्तर–छायावादी वा नवस्वच्छंदतावादी दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। कवि–रूप में उनकी दो विशेषताएँ थीं। एक तो यह कि उनकी कविता के अनेक आयाम हैं और दूसरी यह कि उनमें अंत–अंत तक विकास होता रहा। ‘प्रण–भंग’ से लेकर ‘हारे को हरिनाम’ तक की काव्य–यात्र जितनी ही विविधावर्णी है, उतनी ही गतिशील भी। दिनकर रचनावली के अवलोकन के बाद डा– नामवर सिंह ने उचित ही यह टिप्पणी की कि कुल मिलाकर दिनकरजी का रचनात्मक व्यक्तित्व बहुत कुछ निराला की तरह है। दिनकर की कविता के उल्लेखनीय आयाम हैंµ राष्ट्रीयता, सामाजिकता, प्रेम और श्रृंगार तथा आत्मपराकता एवं आध्यात्मिकता। इन आयामों का अतिक्रमण करते हुए उन्होंने अच्छी संख्या में ऐसी कविताएँ लिखी हैं, जिन्हें किसी खाने में नहीं रखा जा सकता। वस्तुत% ऐसी कविताएँ ही उन्हें महान् कवि बनाती हैं। सबसे उळपर उनकी विशेषता है उनके व्यक्तित्व की ओजस्विता, जो उनकी प्रत्येक प्रकार की कविताओं में अभिव्यंजित होती है। स्वभावतः उनकी प्रेम–श्रृंगार और आध्यात्मिक कविताओं में जो लावण्य है, उसे एक आलोचक के शब्द लेकर ‘ओजस्वी लावण्य’ कहा जा सकता है। नई कविता के दौर में दिनकरजी को वह सम्मान न मिला, जिसके वे अधिकारी थे। उन्हें वक्तृता–मूलक और प्रचारवादी कवि कहा गया, जबकि सच्चाई यह है कि ये दानों बातें स्वतंत्रता–आंदोलन के प्रवक्ता कवि के लिए स्वाभाविक थीं, लेकिन ज्ञातव्य यह है कि उन्होंने श्रेष्ठ कविता का दामन कभी नहीं छोड़ा। दूसरे, समय के साथ उनकी कविता का तर्ज बदलता गया और वे भी ‘महीन’ कविताएँ लिखने लगे, जिनमें एक नई आभा है। निश्चय ही उनकी कविता हिंदी की कालजयी कविता है, उसे नया विस्तार और तनाव देनेवाली।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai