लोगों की राय

उपन्यास >> ज्वार

ज्वार

मधु भादुड़ी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :193
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13940
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

नारी-स्वातंत्रय के लिए प्रतिभूत इस युग मे सुपरिचित लेखिका मधु भादुड़ी का यह उपन्यास इस संदर्भ मे कुछ बुनियादी सवाल उठाता है।

नारी-स्वातंत्रय के लिए प्रतिभूत इस युग मे सुपरिचित लेखिका मधु भादुड़ी का यह उपन्यास इस संदर्भ मे कुछ बुनियादी सवाल उठाता है। नारी विवाहित हो या अविवाहित - आर्थिक स्वावलंबन उसके लिए बहुत जरूरी है, लेकिन आर्थिक रूप से स्वावलंबी स्त्रियां भी क्या इस समाज मे अपने आत्मसम्मान, स्वाभिमान और स्वातंत्र्य को बनाए रख पा रही हैं? सुखवादी सपनो मे खोई रहनेवाली पढी-लिखी निशा अगर एक ' संपन्न घर की बहू ' बनने के अपने और अपने माता-पिता के व्यामोह का शिकार हो जाती है, और अनपढ़ लाजो अगर कठोर श्रम के बावजूद अपने शराबी पति की ' सेवा का धर्म ' निबाहे जा रही है, तो यह मसला शिक्षा और श्रम से ही हल होनेवाला नहीं है। इसके लिए तो वस्तुत. उसे अपने गले-सड़े सस्कारों से लड़ना होगा। यही कारण है कि लेखिका ने सुषमा जैसे नारी-चरित्र की रचना की है। सुषमा इस उपन्यास की केंद्रीय पात्र है, जिसके आत्मसंघर्ष मे संभवत. नारी-स्वातंत्र्य के सही मायने निहित हैं, क्योकि इसे वह स्त्री के बाहय व्यक्तित्व और व्यवहार तक ही सीमित नहीं मानती, बल्कि यह चीज उसकी अस्मिता और समूची मानसिक संरचना के साथ जुडी हुई है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai