उपन्यास >> खम्भों पर टिकी खुशबू खम्भों पर टिकी खुशबूनरेन्द्र नागदेन
|
0 |
एक मोहक शिल्प तथा भाषा के सहज प्रवाह से युक्त, नरेन्द्र नागदेव का आत्मीय, संवेदनशील प्रस्तुतीकरण - खम्भों पर टिकी खुशबू...
भवन-निर्माण के व्यवसाय में गहरी जड़ें जमा चुके, हर कीमत पर कांट्रेक्ट हासिल कर लेनेवाले कुख्यात टेंडर माफिया की आतंककारी कार्यप्रणाली, तथा उन्हें रोकने को कटिबद्ध, एक समर्पित, सृजनशील वास्तुकार का उनके साथ जोखिम भरे संघर्ष का दस्तावेज... संघर्ष में एक सकारात्मक तथ्य को रेखांकित करता, कि सृष्टि वह दानव नहीं चलाता जो अपने अहंकारवश, बाढ़ ला देता है पूरे शहर में, वरन् उस चिड़िया के पंख चलाते हैं, जो चोंच में तिनका दबाकर, तिनके में पानी की एक बूँद उठाकर, बार-बार फेंक आती है शहर के बाहर, ताकि धीरे-धीरे बाढ़ से मुक्त हो सके शहर... आर्किटेक्चर क्षेत्र के सघन व्यावसायिक घटनाक्रम के साथ-साथ एक लोककथात्मक फैंटेसी की महीन बुनावट और विध्वंसक शक्तियों के गाल पर तमाचा-सा जड़ता एक अतियथार्थवादी चरम... वर्तमान और अतीत के बीच, कल्पना और यथार्थ के बीच, सही और गलत के बीच झूलता हुआ सा, एक मोहक शिल्प तथा भाषा के सहज प्रवाह से युक्त, नरेन्द्र नागदेव का आत्मीय, संवेदनशील प्रस्तुतीकरण - खम्भों पर टिकी खुशबू...
|