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क्रांति की इबारतें

सुधीर विद्यार्थी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14000
आईएसबीएन :9788126721481

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इन शब्द-चित्रों में क्रान्तिकारी संघर्ष की तसवीर बहुत साफ और समग्रता में चित्रित हुई है।

क्रान्ति की इबारतें में उन क्रान्तिकारियों के अथक अभियान की रोमांचक दास्तान दर्ज है जिन्होंने देश के मुक्ति-संघर्ष में ‘हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ’ के सेनापति चन्द्रशेखर आजाद और भगत सिंह के नेतृत्व में साम्राज्यवाद के विरुद्ध युद्ध में हिस्सेदारी की थी। उन क्रान्तिकारी नौजवानों ने अपने साहसपूर्ण जीवन से यह प्रमाणित कर दिया कि भारतीय क्रान्तिकारी न केवल अपने लक्ष्य के लिए हँसते हुए फाँसी के तख्ते पर चढ़ सकते हैं, बल्कि कैद में रहकर भी वे अपने क्रान्तिकारी चरित्र को हर कदम पर खरा साबित करने में किसी भी तरह पीछे नहीं हैं।

क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त, मुकुन्दीलाल, कुन्दनलाल गुप्त, मास्टर रुद्रनारायण, सदाशिव राव मलकापुरकर, भगवानदास माहौर, सुशीला दीदी, सुखदेव राज, रमेशचन्द्र गुप्त और सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन के क्रान्तिकारी सफरनामे को इस पुस्तक में पहली बार शब्दबद्ध किया गया है। इसके साथ ही ‘चाँद’ की बलिदानी पत्रकारिता के नक्षत्र रामरख सहगल के जिन्दगीनामे को भी उसी आस्था और भरोसे के साथ पुस्तक में जगह दी गई है जिन्होंने अपने समय में कलम की स्याही से क्रान्तिकारी संग्राम को अनोखी गति प्रदान की थी।

भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास के जाने-माने लेखक सुधीर विद्यार्थी द्वारा रची गई क्रान्तिकारियों की ये तसवीरें अधिक प्रामाणिक और जीवन्त होकर पाठकों से संवाद बनाने में सक्षम हैं। इन शब्द-चित्रों में क्रान्तिकारी संघर्ष की तसवीर बहुत साफ और समग्रता में चित्रित हुई है।

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