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मंटो दस्तावेज: खंड -1-5

बलराज मेनरा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :1955
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14040
आईएसबीएन :9788126728749

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मंटो की तलाश और खोज के हवाले से इस कोशिश का मुनासिब और सटीक नाम ‘दस्तावेज’ के अलावा सोचा भी नहीं जा सकता।

समय के साथ कितनी ही हकीकतें फरेब बन जाती हैं और कितने ही ख्वाब सच्चाई में ढल जाते हैं-समय न तो अंधेरों की निरंतरता है, न इतिहास और सभ्यता के किसी अनदेखे रस्ते पर एक अंधी दौड़। इन सबके विपरीत समय एक तलाश है, बोध है, विजन है और एक कर्मभूमि। समय की कोई सीमा अगर कायम की जा सकती है, और अगर उसे एक नाम दिया जा सकता है तो वह नाम ‘आदमी’ है। आदमी की बुनियादी समस्या पाषाण युग से मंटो और मंटो के पात्रों तक, एक ही रही है : कोई रौशनी, कोई रौशनी... रौशनी के लिए, नई रौशनी की खातिर, नित-नई रौशनी की तलाश में आदमी ने सदियों का सफ़र तै किया और आज भी सफ़र में है। इसी निरंतर और अधूरे सफ़र का एक पड़ाव मंटो है। मंटो की तलाश और खोज के हवाले से इस कोशिश का मुनासिब और सटीक नाम ‘दस्तावेज’ के अलावा सोचा भी नहीं जा सकता।

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