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आलोचना >> मीरा और मीरा

मीरा और मीरा

महादेवी वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14046
आईएसबीएन :9788126724949

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महादेवी वर्मा के मीरा विषयक व्याख्यान

‘मीरा और मीरा’ छायावाद की मूर्तिमान गरिमा महीयसी महादेवी वर्मा के चार व्याख्यानों का संग्रह है। महादेवी जी ने ये व्याख्यान जयपुर में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की राजस्थान शाखा के निमंत्रण पर दिए थे। इन चार व्याख्यानों के शीर्षक हैं - ‘मीरा का युग’, ‘मीरा की साधना’, ‘मीरा के गीत’ और ‘मीरा का विद्रोह’। इनमें महादेवी ने मध्यकालीन स्त्री की स्थिति का विशेष सन्दर्भ लेकर भक्ति, मुक्ति, आत्मनिर्णय, विद्रोह और निजपथ-निर्माण आदि को विश्लेषित किया है।

यह सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा कि प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार व विमर्शकार अनामिका ने लिखी है। कहना न होगा कि यह लम्बी भूमिका एक मुकम्मल आलोचनात्मक आलेख है।

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