संस्मरण >> मेरी जिंदगी में चेखव मेरी जिंदगी में चेखवलीडिया एविलोव
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इस पुस्तक में लीडिया ने अपने और चेखव के, दस वर्ष तक चले दुखद प्रेम प्रसंग का वर्णन किया है।
लीडिया एविलोव चेखव से चार वर्ष छोटी थीं। उनका जन्म 1864 में मॉस्को में हुआ और पहली बार जब वे चेखव से मिलीं तो केवल पच्चीस की थीं। चेखव के साथ अपने सम्बन्ध के ब्यौरे में - जो 1942 में, 78 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के कई वर्ष बाद ‘चेखव इन माई लाइफ़’ शीर्षक से छपा - उन्होंने 1889 और 1899 के बीच चेखव के साथ अपनी केवल आठ मुलाकातों का वर्णन किया है, मगर साफ़ मालूम होता है कि वे अक्सर ही मिलते रहे होंगे। संस्मरण में काफ़ी कुछ दिलचस्प सामग्री है मर उसमें भी खास महत्व चेखव के जीवन की उन घटनाओं का है जो उनके सबसे कल्पना-प्रणव नाटक ‘द सी गल’ की पृष्ठभूमि में थीं। इस नाटक ने उनके कई आलोचकों की बुद्धि की आज़माइश की और नाटक के कई पात्रों के विषय में उनके अनुमान अब सर्वथा निराधार मालूम देते हैं। इस पुस्तक में लीडिया ने अपने और चेखव के, दस वर्ष तक चले दुखद प्रेम प्रसंग का वर्णन किया है। यही समय चेखव के लेखकीय जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय भी था। चेखव के जीवन के अब तक अनजाने इस अध्याय से उनकी कहानियों और नाटकों में उपस्थित उस वेदना और विषाद को समझने में अन्य किसी भी बात से ज्यादा मदद मिलती है जो ‘चेरी ऑर्चर्ड’ में वायलिन के तार टूटने की मातमी आवाज़ की तरह ही उनकी सृजन प्रतिभा और लेखनी से निकली हर प्रेमकथा की विशेषता है।
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