उपन्यास >> नीलू नीलिमा नीलोफर नीलू नीलिमा नीलोफरभीष्म साहनी
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नीलू नीलिमा नीलोफर प्रेम कहानी है। प्रेम कहानियों में अड़चने उठती है, कभी आर्थिक विषमताओं के कारण, कभी जाति-भेद के कारण, कभी पारिवारिक मतभेद के कारण।
नीलू नीलिमा नीलोफर प्रेम कहानी है ! प्रेम कहानियों में अडचने उठती है, कभी आर्थिक विषमताओं के कारण, कभी जाति-भेद के कारण, कभी पारिवारिक मतभेद के कारण ! इस कहानी में भी अवरोध उठते हैं, परस्पर प्रेम के कोमल तंतुओं को कुचलने के लिए ! अंतर केवल इतना है कि इस प्रेम कहानी में उठने वाले अवरोध कुछ ऐसे पूर्वग्रह लिये हुए हैं जिनकी जड़ें समाज में बड़ी गहरी हैं, और जिनकी भूमिका कभी-कभी दारूण, भयावह रूप ले लेती है ! लेकिन मनुष्य के जीवन में प्रेम की भूमिका निश्चय ही इन पूर्वग्रहों से ऊँचा उठकर, दिलों को जोड़ने वाली, निश्छल, सात्त्विक भूमिका होती है ! गहरा, सच्चा, निस्वार्थ प्रेम गहरी मानवीयता से प्रेरित होता है ! दूसरी और पूर्वग्रहों की भूमिका कभी-कभी तो अमानवीय स्तर टार क्रूर हो जाती है ! इन अवरोधों से जूझना एक तरह से अपने परिवेश से जूझना भी है, इस परिवेश में अपने को खोजना भी है, अपने को पहचान पाने का प्रयास भी है ! इसी माहौल में उपन्यास के पात्र अपनी जिंदगी का ताना-बाना बुनते हैं...
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