उपन्यास >> पास्कुआल दुआर्ते का परिवार पास्कुआल दुआर्ते का परिवारकैमिलो खोसे सेला
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स्पेन के युगांतरकारी कथाकार कामीलो खोसे सेला के ‘पास्कुआल दुआर्ते का परिवार’ को वर्ष 1989 के नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
स्पेन के युगांतरकारी कथाकार कामीलो खोसे सेला के ‘पास्कुआल दुआर्ते का परिवार’ को वर्ष 1989 के नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह उपन्यास एक ऐसे सांस्कृतिक माहौल में सामने आया जब स्पेनी पाठक अपनी सामाजिक संघटना के किसी ऐसे पुनर्लेखन के लिए कतई तैयार नहीं था जो कैथोलिक स्पेन की ‘शुद्धता’, परिवार की ‘पवित्रता’, सामाजिक वर्गीकरण के ‘परोपकारी स्वभाव’ जैसी परिभाषाओं के विरुद्ध हो। लेकिन सेला के उपन्यास ने यूरोपीय टूरिस्टों को निर्यात किए जानेवाले फ्रांको के पौराणिक स्पेन की अतिकल्पनाओं का बखूबी पर्दाफाश किया। मध्यकालीन दुर्ग, पैर पटकते हुए बंजारा नर्तक-नर्तकियाँ, सजीली पोशाकों में तने हुए बुल फाइटर, खुशहाल परिवार, गोद में शिशु सँभाले माता मेरी जैसी ममतामयी माँएँ - इन सबका पास्कुआल दुआर्ते जैसे संघर्षरत अनेक लोगों के दैनिक जीवन से कोई संबंध नहीं था। हालाँकि पास्कुआल दुआर्ते का स्पेन परंपरावादी और पौराणिक स्पेन नहीं है, लेकिन उसकी भाषा में स्पेन की परंपरा और स्पेन के गाँवों-शहरों की मिट्टी की गंध है। इसीलिए उसमें असीम शाब्दिक ऊर्जा है। संक्षेप में, पास्कुआल दुआर्ते का निष्ठुर यथार्थवाद तत्कालीन स्पेनी जीवन की भयावहता का जबर्दस्त खुलासा करता है। यही कारण है कि स्पेनी साहित्य में सेरवांतेस के महान उपन्यास ‘दोन किख़ोते’ के बाद पास्कुआल दुआर्ते को ही सबसे ज्यादा पाठक मिले हैं।
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