उपन्यास >> पिनोकियो पिनोकियोकार्लो कोलोदी
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‘पिनोकियो’ उपन्यास की गणना ‘इटैलियन क्लासिक’ कृतियों में की जाती है।
‘पिनोकियो’ उपन्यास की गणना ‘इटैलियन क्लासिक’ कृतियों में की जाती है। लोकगाथाओं जैसी प्रकृति वाली यह रचना देश-काल की सीमाओं से परे एक अद्भुत वृत्तान्त रचती है। भारत में गप्प, किस्सा या दास्तान कहकर जाने कितने कथा-प्रसंग कहे-सुने जाते हैं। इस उपन्यास का मिलान इनसे करते समय विश्व की भावात्मक एकता का भाव पुष्ट होता है। कार्लो कोलोदी ‘पिनोकियो’ में कल्पनाशक्ति का चमत्कार दिखाते हैं। ‘लाल बुझक्कड़’ बढ़ई को ऐसा काठ का कुंदा मिलता है जो बालक की तरह हँसता-रोता है। बढ़ई हमें अपने दोस्त जपैतो को देता है। जपैतो कुंदे से एक कठपुतला बनाकर उसका नाम पिनोकियो रखता है। पूरे उपन्यास में इसी पिनोकियो की दिलचस्प दास्तान है। क्या-क्या करने के बाद पिनोकियो ‘सचमुच का लड़का’ बनता है, यह पढ़ने योग्य है। विशेषता यह कि ‘बच्चों के लिए’ लिखा गया यह उपन्यास हर आयु के व्यक्ति को अपना प्रशंसक बना लेता है। कथाकार द्रोणवीर कोहली ने इसका अनुवाद करते समय कृति की अन्तरात्मा को सुरक्षित रखा है।
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