कविता संग्रह >> प्रतिनिधि कविताएं: अशोक वाजपेयी प्रतिनिधि कविताएं: अशोक वाजपेयीअशोक वाजपेयी
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अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अंधकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं जिन्हें हम प्राय: नज़रअंदाज़ कर जाते हैं।
जन्म और मृत्यु! दो जीवन-सत्य! चूँकि 'मैं' हूँ, इसलिए इनका अस्वीकार भी संभव नहीं! फिर एक लय, एक सनातन लय-प्रेम की! सराबोर करती जीवन के, मृत्यु के इस अनुभव-पट को! अनुभव, स्पर्श का अनुभव! ऐंद्रिकता का निर्द्वंद्व स्वीकार! यही हैं अशोक वाजपेयी की कविता के मुख्य सरोकार। जड़ और चेतन—सभी ढले हैं उनकी कविताओं में—जो उनकी कविता-गंगा के पाट को दूर, बहुत दूर तक ले गए हैं; जहाँ तक पहुँच पाना या देख पाना, बिना इस गंगा में उतरे संभव नहीं। अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अंधकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं जिन्हें हम प्राय: नज़रअंदाज़ कर जाते हैं। विभिन्न संकलनों से ली गई उनकी चुनिंदा कविताओं का यह संग्रह निश्चय ही उनकी काव्य-संवेदना के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करेगा।
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