आलोचना >> प्रेमचंद: एक साहित्यिक विवेचन प्रेमचंद: एक साहित्यिक विवेचननन्द दुलारे वाजपेयी
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महान कथाकार प्रेमचंद के संपूर्ण कथा–साहित्य को उसकी सभी विशेषताओं और विफलताओं के साथ विश्लेषित करने का प्रयास यहाँ लेखक ने किया है।
महान कथाकार प्रेमचंद के संपूर्ण कथा–साहित्य को उसकी सभी विशेषताओं और विफलताओं के साथ विश्लेषित करने का प्रयास यहाँ लेखक ने किया है। आरंभ में प्रेमचंद को हिंदी कथा–साहित्य की परंपरा में स्थापित करते हुए परवर्ती अध्यायों में उनके सात प्रमुख उपन्यासों का अलग–अलग मूल्यांकन किया गया है। दो परिशिष्टों में प्रेमचंद संबंधी आचार्य वाजपेयी के फुटकर मंतव्यों को समेकित किया गया है। साथ ही ‘हंस’ के आत्मकथा विशेषांक से उत्पन्न हुए विवादों से संबंधित पत्र–व्यवहार भी उद्धृत किये गये हैं। पुस्तक के आरंभ में डॉ– शिवकुमार मिश्र द्वारा प्रेमचंद संबंधी आचार्य वाजपेयी की मान्यताओं का ऐतिहासिक तथा समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है, जो पुस्तक के इस नए संस्करण को विशेष महत्त्वपूर्ण बनाता है।
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