लोगों की राय

उपन्यास >> सृजन का रसायन

सृजन का रसायन

शिवमूर्ति

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14303
आईएसबीएन :9788126726394

Like this Hindi book 0

सृजन का रसायन : यादों, रचनात्मकता और जीवन की आत्मा का सफर।

सृजन का रसायन रचना किसी विस्मय से कम नहीं है। शब्दों में जैसे एक समूचा संसार साकार हो उठता है। रचनाकार स्वयं इस रहस्य से अभिभूत रहता है कि कैसे अतीत का कोई क्षण भाषा में कौंध उठता है। स्मृति के अपार विस्तार में शब्द, स्पर्श, रूप, रस व गन्ध के असंख्य अनुभवों में से कब कौन सृजन का सहयात्री बन जाए, कहना कठिन है। वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति के गद्य का अनूठा आयाम उद्घाटित करती पुस्तक सृजन का रसायन संस्मरण के शिल्प में उनकी रचना प्रक्रिया को रेखांकित करती है। शिवमूर्ति का जीवन अनुभवों का भंडार है। गांव और गांव-जवार के जाने कितने चरित्र उनके लेखन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। जिस कथारस व दृश्यधर्मिता के साथ ठेठ देसी अंदाज़ में वे वृत्तांत साधते हैं, वह अद्भुत है। गांव के छोटे-छोटे विवरणों के अलावा जियावन दरजी, डाकू नरेश, धन्नू बाबा, संतोषी काका और जुल्म का विरोध करने वाला जंगू—सब पुस्तक के पृष्ठों पर जाग उठते हैं। शिवमूर्ति ने माता-पिता, परिवार, रिश्तेदारों और गाढ़े समय के साथियों को कृतज्ञ आत्मीयता के साथ याद किया है। बकरी चराते, अन्य श्रम साध्य काम करते, मेले में मजमा लगाते हुए वे किस तरह सफलता की राह पर आगे बढ़े, किस तरह सर्जना के संसार में विकसित हुए, प्रतिष्ठा प्राप्त की, इसका वर्णन अत्यंत पठनीय है। स्त्रियां सृजन का रसायन की आत्मा हैं। मां, नानी, पत्नी, परदेसिन मइया, जग्गू बहू, मनी बहू आदि अनेक चरित्र। और हां, 'पितु मातु सहायक स्वामि सखा सरीखी शिवकुमारी। शिवमूर्ति और शिवकुमारी के विचित्र संबंधों पर हिंदी साहित्य में कौतूहल मिश्रित बहुत कुछ कहा-लिखा गया है। शिवमूर्ति इस पुस्तक में इस रिश्ते की दास्तान बयान करते हैं। जीवनानुभवों के साथ साहित्य के अनेक प्रश्नों के संवाद करती यह पुस्तक सचमुच अनूठी है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book