नारी विमर्श >> स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ स्त्री चिंतन की चुनौतियाँरेखा कस्तवार
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रेखा कस्तवार ने इस पुस्तक में स्त्री को केन्द्र में रखकर लिखी गई महिला और पुरुष रचनाकारों के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन किया है
रेखा कस्तवार ने इस पुस्तक में स्त्री को केन्द्र में रखकर लिखी गई महिला और पुरुष रचनाकारों के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन किया है और इस क्रम में वे स्त्री चिंतन से सम्बन्धित कुछ ऐसी चुनौतियों से रू-ब-रू हुई हैं, जिन्हें अध्ययन की इस पद्धति से ही समझा जा सकता है। लेखिका ने स्त्री से जुड़े कुछ मूलभूत सवालों को उठाया है और उसके आलोक में पुरुष तथा महिला लेखकों के नजरिए के फर्क को रेखांकित किया है। गहरे विवेचन और विश्लेषण के बाद ही वह इस निष्कर्ष तक पहुँचती हैं - स्त्री-विमर्श का प्रमुख सरोकार स्त्री का अपने पक्ष में खुद लड़ना और खुद खड़े होना रहा है, जब तक यह लड़ाई अपनी ओर से नहीं लड़ी जाएगी स्त्री के पक्ष में नहीं जाएगी। ‘स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ’ निश्चित रूप से हिन्दी के स्त्री-विमर्श में कतिपय अवधारणात्मक परिवर्तन लाने में सफल होगी।
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